Thursday 23 January 2014

भारत में पर्यटन चिकित्सा

साभार: जीटीपी हेडलाइन्स 

वर्ष 2011 में भारत 850,000 स्वास्थ्य पर्यटकों का गवाह रहा है और ऐसा लग रहा है कि वर्ष 2015 तक जैसा कि ऐसोचैम का अनुमान है कि  स्वास्थ्य पर्यटकों की संख्या में 3,20,000 स्वास्थ्य पर्यटक बढ जाएंगे।

स्वास्थ्य पर्यटन एक ऐसी प्रकिया को उभार रहा है जिसमें लोग ईलाज के लिए पूरी दुनिया में जा रहे हैं। स्वास्थ्य पर्यटन शब्द मीडिया और पर्यटन संस्थाओं ने मेडिकल टूरिज्म की तेजी से बढती प्रक्रिया को ध्यान में रखकर उछाला है।

भारत के पास दुनिया के सभी हिस्सों के लोगों को स्वास्थ्य सेवा देने का समृध इतिहास रहा है। भारत की आयुर्वेदिक चिकित्सा और योग हमेशा से ही लोगों का ध्यान खींचता रहा है। नए परिदृश्य में भारत दक्षिण एशिया के देशों के समूह के साथ यूरोपीय देशों से लाखों लोगों को वैश्विक मानदंडों के साथ  आधुनिक तकनीकी सुविधाओं के साथ ईलाज कम कीमत पर मुहैय्या कराया है। स्वास्थ्य पर्यटन अधिकतर विकासशील देशों जैसे थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया और भारत के लिए लाभकारी अवसर में बदल रहा है। इससे आय और आर्थिक विकास की दर में वृद्धि हो रही है। भारत ने कहा है कि हर साल दस लाख  स्वास्थ्य पर्यटकों को वह चिकित्सा की सुविधा दे सकता है। जिसका मतलब है कि भारत को 5 अरब डॉलर का लाभ होगा।

सीआईआई- मैकिंसे की रिपोर्ट कहती है कि स्वास्थ्य पर्यटन से 2012 तक 2 अरब डॉलर की आय होगी। जबकि इससे पहले 2006-07 में 333 मिलियन डॉलर का अनुमान था। 
सकारात्मक परिस्थितियों के बाद भी स्वास्थ्य पर्यटन को लेकर सेवा प्रबंधक और उपभोक्ताओं दोनों की  कुछ आलोचनाएं भी है। अभी केवल निजी अस्पताल ही इस तरह की सेवाएं पर्यटकों को उपलब्ध करा रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के अस्पताल इसमें अभी पिछड़े हुए हैं। हालांकि सीआईआई सार्वजनिक क्षेत्र के अस्पतालों को पर्यटन चिकित्सा के केन्द्रों की तरह विकसित करने का प्रयास कर रही है। एक दूसरी सोच यह भी है कि पर्यटन चिकित्सा धनी विदेशी वर्ग को अपने दायरे में लाती है जिनके लिए इसका मूल्य चुकाना काफी आसान होता है। लेकिन भारत की तरह के गरीब लोगों के लिए स्वास्थ्य चिकित्सा पाना अभी भी एक चुनौती है। सरकारी अस्पतालों में कुछ मामलों में मुफ्त चिकित्सा को छोड़कर कई  बीमारियों  और  वितरण प्रणाली के बहुत सारे मामलों में स्थितियां प्रतिकूल हैं। तीसरे, आलोचक यह महसूस करते हैं कि यदि सार्वजनिक अस्पताल भी विदेशियों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध  करा रहे हैं तो इससे गरीब लोग और उनकी आवश्यकताओं की अनदेखी होगी। दूसरी तरफ पर्यटकों को चिकित्सा के संबंध में सही सूचना मिलने, स्थानीय भाषा की समझ, ठगी आदि की समस्या है।

जहां तक नीतिगत प्रश्न है तो भारत में स्वास्थ्य पर्यटन को लेकर विशिष्ट नीतियों की जरुरत है। तब भी स्वास्थ्य पर्यटन को उत्साहित करने के लिए वीजा के नियमों में ढील देने, मेडिकल वीजा जारी करने , राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों में स्वास्थ्य पर्यटन को आर्थिक दृष्टि से महत्व देने , अभियान चलाने और प्रचार करना चाहिए।  नियंत्रक संस्था का अभाव और पर्यटन चिकित्सा के लिए व्यवस्थित संरचना की जरुरत पर बेहतर ढंग से काम करने की जरुरत है। इसलिए, उपभोक्ता और सेवा प्रबंधक दोनों को ध्यान में रखकर पर्यटन चिकित्सा पर विस्तृत नीतियों की आवश्यकता है।

पल्लवी घोष और नेहा सिंह

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